“जहाँ पे सबेरा हो बसेरा वहीं है “
यह गीत रेशम प्रशाद और रेवा का
प्रिय गीत है।
रेशम प्रशाद एक ईमानदार पॉलिश ओफिसर है।
उनकी धर्मपत्नी का नाम रेवा है।
उनके दो बच्चे हैं। रसना और
तनय। दोनों बच्चें पढ़ने में काफी तेज है।
रेशम प्रशाद
अपनी ईमानदारी के लिए काफी़ चर्चित है। अपने काम के प्रति काफी़ सजग है। अपनी विनम्रता एवं सालस स्वभाव के कारण वे अपने सिनीयर्स को प्रिय है। उनके पिताजी केशव प्रसाद मल्लयुद्ध के ज्ञाता मशहूर कुस्ती बाज थे।
रेशम प्रशाद वो कुश्ती के दांवपेंच अपने साथीयों को शिखा देते थे। जिसके कारण उनकी टीम खुंखार
गुन्हेगारों को पकड़ सकती थीं।
उनको बारंबार प्रमोशन मिल जाया करता था। जो थाने में उनकी बदली होती थी वह थाने में खुशी की लहर छा जाती थी, और जो थाने से वो निकलते थे उस थाने में सभी साथियों उन्हें भूला नहीं पाते थें। उनकी माता का नाम जया देवी था।
उनके माताजी -पिताजी बहुत सादगीपूर्ण जीवन जीते थे।
रेशम प्रशाद से गुन्हेगारों भय के मारे कांपते थे।
पहले वह गुनाखोरों से सरलता से पेश आते थे, हो सके तब तक वह गुनेहगारों से सज्जनता से पेश आते थें ।
सब का इतिहास हालात वगैरह की पुरी जांच पड़ताल करते थे। धीरज से न माने तो वे अपनी तिसरी आंख खोल कर गुना कबूल करवातें थें। यदि कोई निर्दोष व्यक्ति जेल में फस गया है, ऐसा मालूम पड़ने पर वे अपनी जेब के पैसे से वकील रोक कर उसको छुड़ाते थे। उनके परिवार को अपना नाम छिपा कर गुप्त सहाय करतें थें।
वो लोग का बार बार ट्रान्सफर होने के कारण परिजनों को ऐतिहासिक एवं भोगौलिक ज्ञान अच्छा था। प्रकृति प्रेम तो ,उनकी नस नस में भरा था। बच्चें सेन्ट्रल गवर्नमेंट की स्कूल में पढ़ते थे। बच्चे पढ़ने में सदा आगे रहते थे।
जब भी वह शहर बदलते थें और नये घर में जातें थे, तब चारों लोग मिलकर यह गीत गातें थें,” जहाँ पे सबेरा हो बसेरा वहीं है !!! “
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
28/4/2022.
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