31/7/2022.
स्व रचित आंशिक सत्य घटना पर आधारित
प्रसंग कथा।
मेकअप
एक बार एक लग्न प्रसंग था. मुजे उसमें जाना था . लग्न स्थल एक होल था. मैं निर्धारित समय पर वहाँ पहुँची. मंच {स्टेज} पर सौभाग्य काक्षीणी[होने वाली दुल्हन] ,उसकी माता और उसकी दो बहनों उपस्थित थीं .मंच के पास तैयार होने का कक्ष था.गणेश पूजा मंडप मुहुर्त हो चूका था.अब थोड़ा विराम था उन चारो महिलाओंने भारी भरखम वस्त्रों एवं गहनें पहने हुए थें; जो एक समान गणवेश के जैसे थें. मेकअप उतना भारी था ; की दूर से हम किसी को पहचान नहीं
सकते थे!!! सभी महिलाओं एक
समान लग रहीं थीं .इनमेंसे दुल्हन कौन है? यह सवाल पूछकर मैं अपनी मुर्खता का प्रदर्शन कराना नहीं चाहती थी !!! हमारे परिवारों का घरेलू रिश्ता था; इस लिए मैं सभी को मिलने मंच की ओर गई.
चारो महिलाओं मंच के कमरे में गई.
साथसाथ मैं भीतर चली गई.महिला कक्ष में ब्युटीशयन अपने मेकअप बक्से से चारों महिलाओं को तैयार करने की सामग्रीयाँ नीकाल रही थी.
वह आज पुरे दिन के लिए नियुक्त की जो गई थी!! उस के साथ उसकी दो अनुचरीओं भी थीं.ताकी मेकअप फटाफट हो शके.दुल्हन को पानेतर नामकी साड़ी से सजाया गया.दुल्हन का मेकअप होने लगा. पानेतर लड़की के मामा के घर से आता गुजरातीयों में शादी का जोड़ा होता है . अब मुजे मालूम पड़ गया था कि दुल्हन कौन है?!! दुल्हन की दो बहनें अच्छीं तैयार होकर अन्य सभी व्यवस्थाओं की तैयारीयाँ देखने पापा और अन्य बड़े लोग के साथ चली गई थीं। अब तैयार होने की बारी मम्मी कीथी. पहला कन्यादान जो करना था!
यकायक बिजली चली गई.
दो अनुचरीओं मोबाईल से फ्लेश लाईट देने लगी.मैं दुल्हन के पास बैठी थी. मुजे एक वीरल दृष्य देखने को मिला !!!
विग बदलते समय माता के सफेद बाल दिखाई दीए. आँखो का मेकअप बदलते समय आँखो के नीचे के काले दाग दिखें. माताजी अपनी बत्तीसी ठीक करती दिखि.
साड़ी पहनाते वक्त ब्युटीशियन पेट पर लगायी नकली चमड़ी ठीक करती थी तब पेट पर प्रसुति के दाग दिखाई दीए . अब थोड़ी देर में बिजली आ गई.ब्युटीशियन ने अपनी जादुई छड़ी फिरायी और माताजी पुनः नवयौवना मोर्डन मम्मी बन गई!!!
थोड़ी देर में बरात आ गई.बरात का अच्छा
स्वागत हुआ.लग्न विधि शुरू हो गई. दुल्हादुल्हन ने एकदुजे को जय माला पहनायी. कन्यादान हो गया.अभी दुल्हन के माता पिता सभी को मिलने उठ सकते थे. मैंने किसि को दुल्हन कि माता को कहते सुना,”आप बहुत खुबसूरत लग रही हो.आप को कोई न कहे कि आप तीन बच्चीओं की माँ हो.आप ने अपने आप को अच्छा मेईनटेईन किया हैं.”
मम्मीजी मुस्कुराए . मुजे यह हँसी का राज़ पता चल गया था!!!फिर भी अनजान मार कर मैंने भी तारीफ़ में अपना साथ दिया. दुल्हन की दो बहनों भी भारी मेकअपमें सचमुच ही बहुत खुबसूरत लग रही थी. मैंने दो बहनो को कहा,” आप दोनों को भी अच्छें दुल्हें मिल जायेगें “
मेकअप का जादु जब कयी दिनों तक मेरे दिलो दिमाग में चलता रहा. मुजे कहावत याद आयी , “डुंगर- पर्वत दूर से सुंदर और पास से… कुरुप”
मेकअप तो कुरूपता छिपाने का एक मुखौट़ा है!!!
भावना
पुरोहित हैदराबाद.
15/6/2022.