5/2/2022.
पृथ्वी माता , पिता नील गगन।
सुबह उठते ही हम अपनी हथेलियों,
के दर्शन करते हैं, धरती पर हमारे
कदम रखते ही हम धरती माता की,
क्षमा याचना करते हैं, फिर हम हमारी,
दिन चर्या की शुरुआत करते हैं,
पृथ्वी की आरंभिक अवस्था में,
लावा से भरी थी अभी भी भूगर्भ में
लावा है, पृथ्वी पर तीन प्रतिशत जल है
एक प्रतिशत स्थल है,
पृथ्वी पहले उबलता लावा थी,
लावा अभी भी भूगर्भ में हैं ,
कभी कभी ज्वाला मुखी से,
उगलता है लावा,
यही लावा किसी ओर जगह पर
शितल होकर,
बन जाता है बर्फ, बर्फ की नदी
ध्रुव प्रदेश में…
विषुववृत में उग्र ताप!!!
हम सभी कितने खुश नसीब हैं,
कि हमारा जन्म सभी तरह की,
कुदरती संपदा , जल संपत्ति,
विपुल खनिज संपदा,
हरे भरे खेतों से लहराती,
फलों फूलों तरकारियों,
से संपन्न
हमारी धरती माता को,
सत सत नमन।।
भावना मयूर पुरोहित
हैदराबाद
10/3/2022.