जापान में कार्यालयों में महिलाओं को दो घंटे जल्दी छोड़ दिया करते हैं।
इस लिए जापान प्रगति के पंथ पर जल्दी आगे कुच कर सकता है।
कामकाजी महिला को ढेरों चुनौतीयां रहती हैं। अपना घर संभालों, बाहर का काम संभालों, उसमें
महिलाओं घंटी के दो पत्थरों के बीच पीसी जाती हैं। पहले के जमाने में एक कमाये और दस खाये ऐसा चलता था क्योंकि तब सबकुछ सस्ता था। आजकल तो महंगाई के कारण घर में महिलाओं को कामकाज करना पड़ता है। महिलाओं को
कामकाज का कारण केवल धन ही नहीं। कठिन मेहनत से एवं तीव्र प्रतियोगिता के बीच पढ़ कर महिलाओं अभ्यास में आगे बढ़ कर बड़ी बड़ी पदवी प्राप्त करतीं हैं। तो
आत्म संतुष्टि के लिए भी महिलाओं जोब करतीं हैं।
व्यापारी वर्ग में भी महिलाओं अपना कारोबार आगे बढ़ाती हैं।
प्रोफेसनल जोब में भी महिलाओं अपना प्रभुत्व दर्शाती हैं।
यह सब में घर में एवं कारोबार में दोनों में संतुलन बनाए रखना पड़ता है।
कामकाजी महिलाओं को तो भी कुछ समय निर्धारित रहता है। जो महिलाएं मात्र गृहिणी रहतीं हैं उनके कामकाज की कोई सीमा नहीं रहती।
सबसे पहले उठों सब के बाद सो जाना। बच्चें भी बड़े होकर पूछते हैं कि मॉं तूने जोब क्यों नहीं किया?
कामकाजी महिलाओं सामाजिक सभी प्रसंगों में अपनी उपस्थिति प्रदान नहीं कर पाती। कभी कभी घर में कुछ प्रसंग रहता है तो छुट्टी भी नहीं मिल पाती। घर में तो सादे कपड़े भी चल जातें हैं। किंतु कारोबार में तो वस्त्रों के लिए भी खर्चा करना पड़ता है। कारोबार और कामकाज की जगहों में भी तरह तरह की राजनीतिओं होती रहती हैं। कभी कभी महिला घर में सभी वातें नहीं कर सकती। घर में जो महिलाएं जोब नहीं करतीं वे टाना मारती है कि जोब छोड़ दो। कभी कभी विभिन्न पारिर्यो रहती है महिलाओं को उठने में देर हो जाती है तो भी टाना सुनना पड़ता है। कभी कभी तबियत ठीक नहीं होती है तब भी दोनों जगहों को संभालना पड़ता है। कभी घर में कोई बिमार रहे तब भी महिलाओं को जोब में समयानुसार जाना पड़ता है। बच्चों की भी फिकर
महिलाओं को मन में सताती रहती है। किंतु महिला किसी से कुछ कहती नहीं। कोई कोई घरों में महिलाओं का पूरा धन ले लेते हैं। उसके लिए कुछ रहने ही नहीं देते। कार्यालय में कुछ अचानक
नक्की होता है तो जब कोई महिला अपना योगदान नहीं दे सकती तो उसकी हालत क्षोभ जनक हो जाती है। इससे उल्टा भी होता है कोई कोई महिला घर में बिल्कुल पैसे नहीं देती। सभी के उपर अपना मिजाज दिखलाती रहती है यह बाबत अच्छी नहीं।
कामकाजी महिलाओं को
तरह तरह की चुनौतीयों का सामना करना पड़ता है। थोड़ी सावधानी और समझदारी के साथ दोनों ओर समान लक्ष दें , दोनों ओर संतुलन रखें, अपना भी थोड़ा ध्यान रखें, धैऊ रखें तो महिलाओं के लिए कामकाज सरल हो जाता है।
अभी भी बहुत सारे बिंदुओं है किंतु फिर कभी।
धन्यवाद
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
19/9/2022.