22/9/2022.
सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति :
सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति का पुरे
हृदय तल से स्वागत है।
5+3+3+4
अभी अभी जारी किया गया सरकारी फरमान के हिसाब से, एक से पांच कक्षा प्राथमिक शिक्षण। छः से आठ माध्यमिक ।नव से ग्यारह तक हाई स्कूल। फिर चार साल तक महा विद्यालय।
यहां बच्चों के व्यवहारिक ज्ञान पर ज्यादा ध्यान दीया जायेगा। इस लिए बच्चों पर पढ़ाई का अधिक बोज नहीं आयेगा। आठवीं कक्षा से बच्चें अपने विषय चुन सकते हैं।
पहले बच्चों को कोई विषय कठीन लगता था, उसके पीछे ज्यादा मेहनत करने के लिए , जो मनभावन विषय रहता, उसमें कम मेहनत कर सकते थे। अप्रिय विषय को झेल कर, दसवीं कक्षा में पास होना पड़ता था। जो कठीन विषय होता उसके कारण दसवीं कक्षा की सफर बहुत लंबी हो जाती थी। बार बार परीक्षा
सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति का पुरे
हृदय तल से स्वागत है।
5+3+3+4

वर्ष 2020 में
जारी किया गया सरकारी फरमान के हिसाब से, एक से पांच कक्षा प्राथमिक शिक्षण। छः से आठ माध्यमिक ।नव से ग्यारह तक हाई स्कूल। फिर चार साल तक महा विद्यालय।
यहां बच्चों के व्यवहारिक ज्ञान पर ज्यादा ध्यान दीया जायेगा। इस लिए बच्चों पर पढ़ाई का अधिक बोज नहीं आयेगा। आठवीं कक्षा से बच्चें अपने विषय चुन सकते हैं।
पहले बच्चों को कोई विषय कठीन लगता था, उसके पीछे ज्यादा मेहनत करने के लिए , जो मनभावन विषय रहता, उसमें कम मेहनत कर सकते थे। अप्रिय विषय को झेल कर, दसवीं कक्षा में पास होना पड़ता था। जो कठीन विषय होता उसके कारण दसवीं कक्षा की सफर बहुत लंबी हो जाती थी। बार बार परीक्षा मेंअसफलता प्राप्त करने से, बहुत सारे विद्यार्थियों नासिपास हों जातें थे। कितने नाराज और हताश हो जातें हैं। अभी तो मन भावन विषय का चयन करके स्नातकों एवं अनुस्नातकों अपनी पढ़ाई की प्रक्रिया जारी रख सकेंगें । महा विद्यालय में जो अनु स्नातकों कुछ कारणों सर अपनी पढ़ाई पूरी न कर सके, उन्हें डीप्लोमा प्रदान किया जाएगा।
महा विद्यालय में चार साल की पढ़ाई में छे _छे महीने का सेमिस्टर प्रणाली होगी, जिस से विद्यार्थियों को अतिरिक्त बोज नहीं आयेगा।
सभी विश्व विद्यालयों में एक ही धाराधोरण रहेगा। यह शिक्षण व्यवस्था से हमारे किमती युवा धन का अमूल्य समय बर्बादी से बच जायेगा। शालिय जीवन के प्रारंभ के पूर्व भी तीन साल पूरे होने के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा। बच्चों को छे साल पूरे होने पर प्रथम कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।
परिवर्तन एक चुनौती है। समय बड़ा बलवान है। असफलता प्राप्त करने से, बहुत सारे विद्यार्थियों नासिपास हों जातें थे। कितने नाराज और हताश हो जातें हैं। अभी तो मन भावन विषय का चयन करके स्नातकों एवं अनुस्नातकों अपनी पढ़ाई की प्रक्रिया जारी रख सकेंगें । महा विद्यालय में जो अनु स्नातकों कुछ कारणों सर अपनी पढ़ाई पूरी न कर सके, उन्हें डीप्लोमा प्रदान किया जाएगा।
महा विद्यालय में चार साल की पढ़ाई में छे _छे महीने का सेमिस्टर प्रणाली होगी, जिस से विद्यार्थियों को अतिरिक्त बोज नहीं आयेगा।
सभी विश्व विद्यालयों में एक ही धाराधोरण रहेगा। यह शिक्षण व्यवस्था से हमारे किमती युवा धन का अमूल्य समय बर्बादी से बच जायेगा। शालिय जीवन के प्रारंभ के पूर्व भी तीन साल पूरे होने के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा। बच्चों को छे साल पूरे होने पर प्रथम कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।
परिवर्तन एक चुनौती है। समय बड़ा बलवान है। नयी शिक्षण पद्धति को लागू होने में थोड़ा समय जरूर लगेगा किंतु ऐसा लगता है, की यह नयी शिक्षण पद्धति जरूर सफल होगी।
व्यवहारिक ज्ञान के लिए एक दो उदाहरण प्रस्तुत है। जी. के. में विलुप्त डायनोसोर प्रजातियों का नाम रटते कोई बच्चों को अपना नाम या अपने पिता के नाम का स्पेलिंग लिखने में तकलीफ होती थी। एक बच्ची अपनी माता को रसोईघर में बिल्कुल मदद नहीं करा रही थी, पढ़ने में वह तेज थी। पहले पढ़ाई, फिर तरह तरह की डिग्री हासिल करने में व्यस्त, फिर जोब। शादी करके ससुराल पहुंची। एक दिन दहीं जमाने काम उसके हाथ आया। उसने जमावन डाल के दूध फ्रिज में रख दिया। दूसरे दिन दहीं तैयार नहीं हुआ। उसकी भलि सास ने उसे दहीं जमाना शिखा दीया। उसने मन ही मन एहसास कीया अगर माता को थोड़ी सी मदद कराती तो अच्छा होता!इस लिए कुछ स्कूलों में ईतर प्रवृत्ति के विषय में रसोई शास्त्र शिखाया जाता है।
सरकार द्वारा घोषित की गई नयी शिक्षण पद्धति का स्वागत है। अंत में इतना जरूर कहूंगी कि सरकार, शिक्षण संस्थानों, अभिभावकों कितनी मेहनत करें , जो विद्यार्थी को नहीं पढ़ना हो , वह नहीं पढ़ेंगे। जिस को पढ़ना हो वह विद्यार्थी कितनी भी विपरीत परिस्थितियों में भी पढ़ लेते हैं, चाहे कौन सी भी शिक्षा पद्धति हो।
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
7/8/2020/