मस्त :-
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
12/5/2022.

मस्त हूॅं मैं!! मस्त हूॅं मैं!!
मेरे काम में, व्यस्त हूॅं मैं,
चाहे लगे जीवन त्रस्त!!!
फिर भी मस्त हूॅं मैं,
जीवन की तेड़ी-मेड़ी चाल की घुट्टी हूॅं मैं,
जीवन के गणित का,
हिसाब हूॅं मैं,
कभी किसी के
कड़वे बोल…
चोंट दिल में ऐसी लगती है जैसे कि
ह्रदय में उठती प्रसुति पिडा,
फिर भी मस्त हूॅं मैं,
मेरे काम में व्यस्त हूॅं मैं,
मस्त रहना मेरी मजबूरी नहीं है,
किंतु मेरे दिल की अमिरी है!!!
मेरे जीवन की खुद्दारी है,
मेरी फकीरी ही मेरी अमिरी है,
मस्त रहना थोड़ा सा
मुश्किल है, क्योंकि
यह दुनिया को तो हमें त्रस्त करने में ही मजा आता है,
चाहे अपने लिए वो
हो जाती सजा,
किंतु फिर भी मैं मस्त हूॅं।
मेरे काम में व्यस्त हूॅं।
मस्त हूॅं मैं, मस्त हूॅं मैं।