मेरी एक पुरानी रचना
प्रस्तुत है। हिंग्लिश में!
शिर्षक : गृहिणी
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
29/10/2021/

गृहिणी की हालत
उनके ही शब्दों में…
” घर में बिमारी, अतिथि
आगमन चारों ओर से,
अतिथियों का आगमन
खबर पूछने ? या
खबर लेने?”
फिर गृहिणी आगे कहती है,”काम करते करते…
बनने के लिए अच्छे होस्ट,
हो गई मैं पापड़ की तू रोष्ट,
बिमार व्यक्ति के बजाय,
अन्य सर्व अतिथियों के
द्वारा इतनी फरमाइश रसोई की…
मानो मैं हो गई होस्ट में से
घोस्ट ,
तन, मन, धन की पुरी
शक्ति हो गई लोस्ट,
काम इतना है कि,
इस का नहीं है कोई कोस्ट”
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
29/10/2021/