आंखें कह रहीं इरादा कबील का
होंठ बता रहे हैं रास्ता साहिल का

लफ्ज़ रुक गए देखकर आपको
हसीं आपकी बहता पानी झील का
मिल नहीं रहा ढूंढनेपर भी निशां
होगा कहीं तो निवास एक तील का
आज इतनी खूबसूरत है आपकी
क्या लिखें इतिहास ऐसी क़तील का
चमक अब तो चारों तरफ है फैली
सितारों में नहीं नशा झिलमिल का
इंतज़ार ख़त्म कर अब मिला जाए
यही कहना है आपके बिस्मिल का
( कबील – ज्ञानी, क़तील – सुंदर,
बिस्मिल – घायल)
पूजन मजमुदार ०३/११/२०२२