खुश बहुत है वो शिल्पी, अपनी कला देखकर
ताज्जुब हूं इन हसीं आंखों का हमला देखकर

गुज़ारिश है या हुक्म इन लबों पर आज कहो
बात समझ नहीं आती आप सी बला देखकर
ये हुस्न की मस्त अदाएं और मेरा दीवानापन
कौन बताए किसने है किस को छला देखकर
आप ही का महकमा है कचहरी भी आप की
कर दीजिए फ़ैसला आज मेरा भला देखकर
गर्मी भी बढ़ रही है इन जलवों से सिंगार के
कौन खुश होगा मुझे इस तरह जला देखकर
शायरी गुलाब शाम जाम, सब आप के नाम
आप मुस्कुरा रहे हो मुझ सा मनचला देखकर
पूजन मजमुदार