रावण , लंकेश, दशानन,
दस वदन,
माता राक्षसी कैकसी
पिता पूलकेशी ऋषि ब्राह्मण।
प्रखर ज्ञानी महा विद्वान,
परम शिव भक्त, मातृ-भक्त , माता की शिव भक्ति के लिए कैलाश पर्वत उठा लिया था।
रावण हत्था एक संगीत वाद्य,
रावण ने जिसकी खोज की है।
कैलाश पर्वत उठाकर जाने वाला था,
रावण अपनी माता के लिए,
कैकसी जो थी परम शिवभक्त।
दो पर्वतों के बीच फंस गया था रावण।
शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने के बाद
रावण ने सस्वर गाया शिवतांडव स्तोत्र।

साथ में बजाया रावण हत्था
रावण हत्था बनाने अपने पेट को चीर कर
ऑंतो को बाहर निकाल कर, उसके तार
बनाकर मधुर संगीत बजाकर
प्रसन्न कर लिया शिव जी को।
पहले भी शिव भक्ति करके, शिव से सोने की लंका मांग ली थी।
अपने भाई कुबेर से पुष्पक विमान छिन लिया था,
उत्तम वस्तुओं का भोक्ता,
सभी ग्रहों को बंदी बना कर, रख लिया था, फिर भी
ज्योतिष शास्त्र के उत्तम ग्रंथ लाल किताब की रचना की थी।
ब्रह्मा जी से उग्र तप करके
अमृत कुंभी मांग ली थी,
जो अपनी नाभी में छिपा रखी थी,
पटराणी मंदोदरी के पति,
मेघनाद जो इन्द्र जीत था,
के पिता,
अन्य राणीयॉं और पुत्रों भी थे,
कुंभ कर्ण, विभिषण, सुपर्णखा के भ्राता।
दुनिया का पूरा ऐश्वर्य,
उनके कदमों में था,
फिर तो आ जाता है अभिमान…
विष्णु भगवान के हाथों से
तीन जन्मों तक, मृत्यु मांग लिया था।
अपनी पुत्री समान सीता मैया का हरण कर लिया।
मुजे कोई न मार सके की लंबी नामावली में ,
मानव और वानर का नाम छूट गया था।
अधर्म का मार्ग खुला था,
सभी के समझाने के बाद भी नहीं माना।
हिमाचल प्रदेश के एक शिव मंदिर में रावण ,
शिव भक्त के हिसाब से पूजा जाता है।
भगवान श्री राम को शिवपूजन करना था,
तब रावण ही पंडित बना था!
आज भी राजस्थान में,
रावण हत्था, नामक
तंतु वाद्य बजाया जाता है।
रावण हत्था जिसको
बंनजारे बजाते हैं,
और लोक धून गाते रहते हैं।
रावण हत्था एक संगीत वाद्य,
रावण ने जिसकी खोज की है।
कैलाश पर्वत उठाकर लेकर
जाता था रावण अपनी माता के लिए,
कैकसी जो थी परम शिवभक्त।
दो पर्वतों के बीच फंस गया था रावण।
शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने के बाद
रावण ने सस्वर गाया शिवतांडव स्तोत्र।
साथ में बजाया रावण हत्था
रावण हत्था बनाने अपने पेट को चीर कर
ऑंतो को बाहर निकाल कर, उसके तार
बनाकर मधुर संगीत बजाकर
प्रसन्न कर लिया शिव जी को।
तार वाले वाद्यों में प्रसिद्ध है,
सितार, संतुर, वीणा, एक तारा,
तंबुरा, आधुनिक गिटार और
देसी रावण हत्था। जिसको
बंनजारा बजता है,
लोक धून, लोक गीत
और बन जाता है मधुर संगीत।
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद