उतरायण
अर्थात मकर संक्रांति
सूर्य भी क्रांति करता है !!!
अपनी गति दक्षिणायन से,
उत्तर की ओर कर लेता है,
स्वर्ग के द्वार की ओर-
इस लिए तो महात्मा भिष्म ने,
इच्छा मृत्यु के कारण अपने,
प्राण टिका कर रखें थें और
उतरायण के दिन अपने ,
प्राण त्याग करें थे,

मकर संक्रांति को तिल गुड़
खाने का रिवाज है,
सभी आपस में एक-दूसरे को,
तिल गुड़ का आदान-प्रदान
करते हैं।
तिल संघ बल दर्शाता है,
तिल तीन प्रकार के आते हैं,
सफेद, लाल और काले,
तीनों तिल का अपना-अपना,
महत्व होता है।
तिल कैल्शियम का बड़ा स्त्रोत होता है।
तिल का ज्योतिषीय एवं औषधीय गुण,
अद्भुत होते हैं।
उतरायण को पतंग उड़ाने
का महत्व है,
सूर्य कीरणों में विटामिन डी होता है,
सूर्य एक ऐसे देव हैं जिनके लिए,
हमें मंदिर में नहीं जाना पड़ता!!!
सामने से आकर अपने दर्शन दे देतें हैं।
मकर संक्रांति – उतरायण को,। अपने वालों से मिलना होता है,
कभी कभी घरों में, छोटी छोटी सी,
बातों पर बड़ा वैमनस्य हो जाता है,
किंतु मकर संक्रांति उतरायण के दिन,
आपस में मिलने से आपसी तनाव
समाप्त हो जाता है।
उतरायण पर दान का महत्व होता है,
कभी कभी कुछ लोग गुप्त दान करते हैं,
दान से पापों का क्षय होता है।
उतरायण को संगम स्नान और जब ,
कुंभमेला होता है तब, कुंभ स्नान का भी
महत्व होता है।
कोई भी त्योहार हो उसे मनाने के लिए,
मन में उल्लास रहना चाहिए,
” मन चंगा तो कठौती में गंगा”।
उत्तरायण लोगों को उल्लास, उत्साह देने का पर्व है।
उत्तरायण आपस में मिलजुल कर मनाने का त्योहार है।
अभी तो भारत का यह त्योहार
विश्व प्रसिद्ध हो चुका है।
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद