प्रकृति का संचालन,ब्रह्मांड एकअंड। कुदरती कार्यों में, मनुष्य का हस्तक्षेप। प्रकृति के सामने,
मनुष्य ने पुकारा बंड!!!
मुर्गा, मुर्गी अंडे_कुदरत की देन।
‘हेचरी’ मुर्गी पालन केंद्र।’कृत्रिम
संवर्धन’ बिना ममत्व, बिना संवनन
मुर्गी अंडे देती मशीन।
अहिंसा की हिंसा, प्रकृति की विकृति।
‘लेयर्स’ अंडे की लालच।
‘ब्रोइलर्स’ अंडे देती…
सोने के अंडे मुर्गी को मिले दंडे। मानव को मांस का मोह,। मुर्गी को जान का खतरा।
“बहुत ताकतवर है मुर्गी।
मुर्गी खाओ!!!”
शाकाहारी मरीजों को कहते हैं,
मांसाहारी डोक्टरों।
कमजोर रोगियों को, कर देंते हैं,
मुर्गी खाता भोगी।
मुर्गी में है शक्ति, वाहन है मुर्गा,
बहुचर माता का। शक्ति माता।
एक बार हेचरी को, सबक सिखाया
था, खेचरी ने, (पक्षी स्वरूप माता)
मुर्गी की आहें है, अधिक शक्तिशाली।
कुछ सालों पहले आई थी, महामारी
बर्ड फ्लू नामक, जो था मुर्गा मुर्गी की आहें का बदला!!!
बर्ड फ्लू से बचने के लिए,
जहां मुर्गी दिखाई देती थी,
जिंदा जलाया करते थे।
खाने के लिए नहीं!!!
किंतु, ईश्वर का मार खाने से,
बचने के लिए!!!
महामारी से बचने हेतु।
अंबा माता की छोटी बहन
बहुचर माता के वाहनों
मुर्गो ने, विदेशीयों, विधर्मियों ,
के पेट से, जींदा बाहर निकल,
आकर शक्ति माता का ,
अप्रतिम परचा दिखा कर,
सभी को दंग कर दिया था।

भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद तेलंगाना ।
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