दहेज प्रथा का निर्मुलन होना चाहिए,
दहेज प्रथा भारत के नाम पर कलंक,
दहेज से भारत की विश्व में
बदनामी,
कितनी-कितनी अरमान भरी बेटीयों को दुःख पहोंचाता है शब्द दहेज,
दहेज प्रथा का निर्मुलन होना चाहिए,
दहेज के खप्पर में कितने,
परिवारों का बलि चढ़ जाता है,
दहेज का अर्थ होता है,
शादी के दौरान या शादी के बाद कन्या पक्ष की ओर से,वर पक्ष वालो की मांग करना, वह है दहेज,
दहेज एक शर्म नाक शब्द है, वर पक्ष वाले दहेज के नाम पर कन्या को प्रताड़ित करते है,
हमारी समक्ष कैसे कैसे किस्से सामने आते हैं,
क्या शादी से पहले,
दहेज भूखे लोग सचमुच भूखे ही रहते है क्या?
अर्थात खाना नहीं खाते होंगे क्या?
यह क्या है जो लड़की दहेज लाती है वह अच्छी,
और जो लड़की दहेज नहीं
लाती वह बूरी?
क्या सारी जिंदगी दहेज के भूखे लोग लड़की के मैके का ही खाना खायेंगे?
जबतक अपने लाडले की
शादी नहीं हुई थी, तब वे
अपनी कमाई नहीं करते थे? कुछ काम नहीं करते थे? लड़की के माता-पिता
अपनी लाडली को पढ़ाते
लिखाते है, अच्छा संस्कार देते है वह एक तरह का दहेज नहीं है?
अभी अभी दहेज के विरुद्ध कानून निकले है,
उस कानून का दुरूपयोग करके, कोई खानदान में,
कुसंस्कारों से युक्त लड़की आ जाती है, वह तो उल्टा
ससुराल वालों को डराती है, ससूराल वाले दहेज नहीं लेते फिर भी झुठा झुठा बहाना बनातीं है,
अपने ससुराल वालों को,
ख़ाली खाली बदनाम करती है, अपनी मनमानी करती है, स्वच्छंद व्यवहार करती है, ससुराल वाले कुछ समझाए तो तलाक का चक्कर लगा कर, अच्छे खाशे पैसा ऐंठती है,
ऐसा सब न हो इसलिए भी, दहेजप्रथा का निर्मुलन
होना अति अति आवश्यक है।
भावना मयूर पुरोहित
हैदराबाद
22/12/2021.