जी हां, यदि हम हर मैदान फतेह करना चाहते हैं तो हमें हर संभव प्रयास, परिश्रम- शारीरिक या मानसिक, कठिन से कठिन काम या मेहनत से डरना नहीं चाहिए।
कठोर परिश्रम या कड़ी मेहनत मनुष्य का असली धन होता है। बिना कठिन परिश्रम के सफलता पाना असंभव है। इस दुनिया में जो व्यक्ति कठिन परिश्रम करता है, सफलता उसी के क़दम चूमती है। कड़ी मेहनत करनेवाले लोग मिट्टी को भी सोना बना देते हैं।
मेहनत की आग जब सीने में होती है, तो हर मुश्किल काम को आसान बनने में ज्यादा देर नहीं लगती है।
सफलता किसे अच्छी नहीं लगती ? और लोग सफल होने के लिए रात दिन मेहनत भी करते हैं; ऐसे में जिनके इरादे और हौंसले बुलंद होते हैं , निश्चित ही वे लोग अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं और सबके लिए सफ़लता की एक नई मिशाल पेश करते हैं।
कड़ी मेहनत सिर्फ़ वही व्यक्ति कर सकता है जिसको अपनी ज़िन्दगी बदलना है और अपनी ज़िन्दगी में बहुत बड़ा मुक़ाम हासिल करना है। जिस इंसान ने ज़िन्दगी में संघर्ष किया होगा वही इंसान कड़ी मेहनत का मतलब जनता होगा। इसीलिए तो किसी ने कहा है कि –
“टूटने लगे हौसले तो
ये याद रखना,बिना मेहनत के तख्तो-ताज नहीं मिलते,
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में
मंजिल अपनी,क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते !”
और -“पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को,उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते !”
मुश्किलों भरे सफ़र में बड़ा अँधेरा है,पर महेनत करने वालों की नज़र में
ये सब सवेरा है।कई रातें जागनी पड़ती हैं सफलता पाने के लिए। जो चल रहा है उसके पाँव में ज़रूर छाला होगा।बिना संघर्ष के चमक नहीं मिलती,जो जल रहा है तिल-तिल, उसी दीए में उजाला होगा !
हम रखें भरोसा अपनी मेहनत पर,ना कि अपनी किस्मत पर!
क्योंकि ” सपनों की तैयारी पूरी रखो, फ़िर सफलता का स्वाद चखो!”
हम इस दुनिया में काम
करने के लिए आये हैं,ना कि आराम करने के लिए । मेहनत का फ़ल इतनी आसानी से नहीं मिलता।
मेहनत से ही सफ़लता मिलती है। यह बात बिल्कुल सही है।
पर किस्मत से सफ़लता का समय निर्धारण होता है।
किसी किसी की पूरी ज़िंदगी निकल जाती है , मेहनत करते करते। जब सफलता मिलती है, तब तक उम्र निकल चुकी होती है, उसका उपभोग करने के लिए। जब गाड़ी का शोक था , तब गाड़ी नहीं थी। जब मेहनत करके गाड़ी खरीदी , तब गाड़ी ख़ुद के लिए नहीं, बच्चों के लिए चलाते हैं। इसे मेहनत कहेंगे।
जिसने गाड़ी चलाने की सोची , और मेहनत का नतीजा जल्दी मिला। तो अकेले गाड़ी चलाने का शौक़ भी पूरा कर लिया; इसे किस्मत कहेंगे।
अब ,क्योंकि शिक़ायत करने से तो कुछ होगा नहीं, इसलिए समझदार लोग मेहनत की तरफ़ हो जाते हैं। और नासमझ दूसरों को देखकर अपनी क़िस्मत पर रोते रहते हैं। किसी ने सच ही कहा है कि “मेहनत इस क़दर कर तू कि जीतने वाला भी तेरे लिए तालियां बजाता रह जाये।
“सब्र रख जीवन में तेरे हर काम हो जायेगा,महेनत किया कर ज़िन्दगी में ,ऊँचा तेरा नाम हो जायेगा।”
लकीरों के भरोसे कब तक ख़ुद को यूँ ही ठुकराओगे
मेहनत करो सब मिलेगा।
कब तक यूँ ही किस्मत को दोष देते जाओगे।
महेनत करने वाले अक्सर कारवाँ बदल जाते हैं,मगर लकीरों पर भरोसा रखने वाले अक्सर ज़िन्दगी किसी रास्ते मोड़ पर खड़े नज़र आते हैं!
यदि हम तक़दीर की आड़ लिये फ़िर रहे हैं तो कुछ नहीं होगा। कभी मेहनत भी किया कर लिया करें,
देखते हैं, फ़िर कैसे नहीं बदलती हमारी तक़दीर !
सब्र, मेहनत और पढ़ाई -ये जीवन की है लड़ाई!
जिसने इस पर जीत है पाई उसकी हर जगह होती बड़ाई!
काली रात है आज तो कल सवेरा होगा। हर मेहनत करनेवाले का जीवन में
ऊंचाइयों पर बसेरा होगा।
पर ये बात सच हैं कि मेहनत से सफ़लता देर में मिलेगी और क़िस्मत से सफ़लता जल्दी। ज़रुरी शर्त तो मेहनत ही है, जो दोनों तरह के लोग करते हैं। यह बात भी बिल्कुल सही है कि मुश्किलों भरे सफ़र में बड़ा अँधेरा है,पर महेनत करने वालों की नज़र में
ये सब सवेरा है।
“टूटने लगे हौंसले तो यह याद रखना,बिना मेहनत के तख्तो-ताज नहीं मिलते,
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंज़िल अपनी,क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते !”और –
“पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को,
उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते !”
अतः कड़ी मेहनत ही सफ़ल भविष्य की कुंजी है।
कड़ी मेहनत करनेवाले हर मैदान फतेह कर लेते हैं।
– डॉ. दक्षा जोशी
अहमदाबाद
गुजरात।
