अजब मोड़ पर देखो आ गए हैं हम
जहां अब दो नहीं एक हो गए हैं हम

नज़ाकत का ज़माना था चारों तरफ़
पीछे छूट गए थे सारे रिवाज़ रसम
खोखला कर रही है वक्त की दीमक
रिश्तों में अब जान के आसार हैं कम
मौके मिले मिलने के, पर मिले नहीं
बड़ा सितम ढा गई आपकी कसम
बसर होगा आपकी जुल्फों के साये में
आपको प्यार करने ही लिया है जनम
पूजन मजमुदार